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लक्ष्मीनारायण मंदिर, नोयडा में ग़रीबों के लिए प्रारंभ हुई “ माँ अन्नपूर्णा रसोई” – रोज़ दोपहर को मिलेगा निशुल्क भोजन

लक्ष्मीनारायण मंदिर, नोयडा में ग़रीबों के लिए प्रारंभ हुई “ माँ अन्नपूर्णा रसोई” – रोज़ दोपहर को मिलेगा निशुल्क भोजन
मकर संक्रांति पर घोषित निर्धन व अशक्त लोगों के लिए “ मंदिर संकुल और सेवा अभियान “ के अंतर्गत “ माँ अन्नपूर्णा रसोई” का   लक्ष्मीनारायण मंदिर , सेक्टर 56,  नोयडा  में 4 मार्च 2022  दिन शुक्रवार से यज्ञ आदि विधि विधान से नियमित रूप से प्रारंभ किया गया है। आज से अन्नपूर्णा रसोई में प्रतिदिन दोपहर 12 से 2 बजे के बीच निशुल्क भोजन करवाया जाएगा।
अशक्त व निर्धन लोगों को निशुल्क भोजन के लिए नोयडा में शुरू हो रही है  “ माँ अन्नपूर्णा रसोई”  की संचालन समिति के संयोजक पंकज गोयल ने बताया कि शहर के धार्मिक रूप जागरूक व संवेदनशील अनेक प्रबुद्धजनो की  पहल व सहयोग से मंदिर संकुल को सेवा व सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनाने के अभियान को ज़मीन पर उतारने का संकल्प लिया गया है। मंदिरो के पुनरोत्थान के इस अभियान का पहला सोपान लक्ष्मीनारायण मंदिर में मंदिर समिति के सहयोग से अशक्त व निर्धन लोगों की सहायतार्थ “ अशक्त व निर्धन लोगों को निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गयी है।
मंदिर के प्रांगण में स्थायी रसोई व भोजन कक्ष की सुंदर व्यवस्था उपलब्ध है । इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि भोजन के बनाने व वितरण की व्यवस्था सुचारु व साफ़ सुथरी के साथ स्वास्थ्यवर्धक रहे।इस रसोई में सप्ताह के सातों दिन अलग अलग प्रकार के पोष्टिक व्यंजन दिए जाएँगे। साथ ही प्रत्येक लाभार्थी को सनातन संस्कृति, अच्छे संस्कारो व मंदिर के धार्मिक आयोजनो से जोड़ा जाएगा।आगे इस  प्रकल्प में झुग्गी के बच्चों के लिए  ऋषिकुलशाला (अनोपचारिक विद्यालय) व निशुल्क योग, संगीत, शास्त्रीय नृत्य आदि की कक्षायें भी प्रारंभ करने की योजना है।
इस अभियान की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए संचालन समिति के सदस्य व मौलिक भारत के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल ने बताया कि भारत में पूर्व में मंदिर संकुल में देव स्थान, ध्यान कक्ष, मंत्रणा कक्ष, सभा/प्रवचन कक्ष, महंत आवास ,यात्री विश्राम ग्रह, यज्ञशाला, धार्मिक पुस्तकालय, वाचनालय, गुरुकुल, गौशाला, सांस्कृतिक कार्यक्रम कक्ष, चिकित्सालय, व्यायामशाला, रसोई व भोजन कक्ष, अन्न कक्ष, तिजोरी कक्ष, बगिया, कौशल विकास केंद्र सब कुछ होता था और मंदिर पूजा व उपासना के साथ ही राज्य के सलाहकार, अन्न व संपदा के केंद्र ( जिसका प्रयोग राज्य आपात स्थिति में करता था) था। मंदिरसंकुल में शिक्षा हेतु गुरुकुल भी था जहां शास्त्र व शस्त्रों की शिक्षा के साथ साथ कला, नृत्य, संगीत, योग ,नाटक , मूर्ति कला,स्थापत्य कला, कौशल विकास , आयुर्वेद , व्यायाम , आत्मरक्षा इत्यादि की शिक्षा व सुविधा दी जाती थी। इस प्रकार भारतीय मंदिर कला , संस्कृति के साथ ही सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र थे। अपनी इस व्यवस्था के कारण भारतीय संस्कृति व सत्ता सम्पूर्ण विश्व में स्थापित हो गयी। पिछले कुछ सदियों में यह व्यवस्था बिखर गयी और इसी कारण समाज का पतन हो रहा है। समाज के उत्थान के लिए इस व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ही “मंदिर संकुल और सेवा” अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। जिसका विस्तार देश के प्रत्येक मंदिर तक किया जाएगा। अभियान में शान सागर, अनिल दीक्षित, नवल किशोर, भारतेंदु शर्मा, सुशील कुमार,सारिका अग्रवाल , संजना वाली, पुष्कर शर्मा, सम्यक अग्रवाल, दीपक कुमार आदि ने निरंतर सहयोग व सेवा देने का संकल्प लिया। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से ओपी गोयल व जे एम सेठ ने इस कार्य में पूर्ण सहयोग देने का वचन दिया।

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