नये नेतृत्व के निर्माण के लिए 15 सूत्रीय कार्यक्रम
BY : MB
देश व्यापक बदलाव के दौर में है। यानी यों कहें कि ये समय संक्रमणकाल का भी है, लेकिन नया सूरज भी इन्हीं प्रतिकूल हालात से निकलेगा। मौलिक भारत ऐसे दौर में नये नेतृत्व के निर्माण में अपना योगदान देना चाहती है, जिसके जरिए समर्थ क्षमता वाले लोगों के आगे आने के साथ उभार लेती नई सामूहिक सोच, यकीनन में देश को अगर भ्रम का जाल हटा दिया जायें तो सत्य यही निकल कर आता है कि देश उदारवाद की आँधी में बह रहा है। बुद्धिजीवी, चिंतको और विश्लेषकों के साथ आध्यात्मिक गुरूओं का भी यही मानना है। देश में व्यापक सारी बुराईयों का जड़ में पूँजीवाद ही छुपा है। देश व्यापक बदलावों के दौर में है और प्रत्येक व्यक्ति अंधी दौड़ में है। विश्लेषक मानते है कि विकासशील से विकसित होने के दौर में यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अन्य विकसित देशों ने भी अपने-अपने समाजों में मूल्यों का व्यापक क्षरण देखा है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। सच तो यही है कि एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के सभी विकासशील देश इसी प्रकार के बदलावों से गुजर रहे हैं।
माना यह जा रहा है कि कुराज से सुराज, कुव्यवस्था से सुव्यवस्था और अराजकता से कानून के शासन, अविकसित व विकासशील से विकसित और स्वार्थी से बौद्धिकता की तरफ बढ़ती मानवता की इस यात्रा में आने वाले समय में पुरानी राजनीतिक संस्थाएं, नेता एवं दलों का भी क्षरण होगा और समय के इस संक्रमण काल, विचारधाराओं और सभ्यताओं के टकराव के मंथन से नयी, अधिक स्थिर व्यवस्थाओं, विचारधाराओं और नेतृत्व का उदय होगा और तक सुशासन, कानून के शासन और विकसित और समृद्ध समाज का उदय संभव हो सकेगा। अपनी बौद्धिक और नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए मौलिक भारत इस संक्रमण काल में नये नेतृत्व के विकास में अपना योगदान देना चाहता है। हम आह्वान कर रहे हैं कि देश के प्रत्येक प्रबुद्ध और जागरूक नागरिक व गैर राजनीतिक संस्थाओं से जो अपने अपने स्थान पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरी कर्तव्यनिष्ठ, से निभा रहे हैं, एक दूसरे के साथ श्रृंखला बद्ध हों, सहयोगी बने और सांझा कार्यक्रम बनाकर राष्ट्रनिर्माण के कार्य को वृहद रूप में करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे दबाब समूह के रूप में स्वयं को रूपान्तरित करें कि आपके सुझावों और विचारों का राजनीतिक शक्तियां/व्यवस्था सम्मान करें, स्वीकार करें और क्रियन्वित करें। संक्रमण के समय के देश को सहज अवस्था तक ले जाना हम सबका दायितव हैं। मौलिक भारत एक सूत्रधार, एक कड़ी है जो कहीं पर भी स्वयं नेतृत्व नहीं करना चाहता वरन् नेतृत्व करने में सक्षम लोगों व संस्थाओं को पहचान देने, उनमें आपसी समझ व समन्वय स्थापित करने, सामूहिक सोच, पहल व कार्यक्रम तैयार कराने में उत्प्रेरक की भूमिका अदा करना चाहता है।