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​​लक्ष्य प्राप्ति के लिए- न्यूनतम संगठन

BY : MB

1. हमारा संगठन – लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक आंदोलन।

2. हमारा लक्ष्य – व्यवस्था परिवर्तन वर्तमान राज्य व अर्थ व्यवस्था में परिवर्तन।

3. व्यवस्था परिवर्तन का परिणाम – दो
(1) प्रत्येक व्यक्ति को ईमान की रोटी और इज्जत की जिंदगी।
(2) भारत विश्व में गौरवशील पद पर पुन:सर््थापित।

4. आंदोलन की सफलता के तीन कारक-
(1) साखयुक्त नेतृत्व
(2) परिस्थितियों की परिपञ्चवता और
(3) औजार के रूप में न्यूनतम संगठन।
हमारे पास साखयुक्त नेतृत्व है। उनके साथ अन्य साखयुक्त नेताओं को जोडऩा भी संभव। परिस्थितियों की परिपञ्चवता। समाज में बैचेनी व असंतोष का सभी जगह दर्शन। उस असंतोष को सही दिशा में मोडऩे की देरी। नेतृत्व भी उपलब्ध है समाज में असंतोष के कारण परिस्थितियां भी पकने के तरफ बढ़ रही है। क्या आंदोलन की सफलता का औजार हमार पास है? नही है। अत: आंदोलन की सफलता का औजार – न्यूनतम संगठन बनाना हमारी प्राथमिकता।

5. न्यूनतम संगठन का अपेक्षित स्वरुप-
(1) राष्ट्रीय कार्यसमिति = 31 सदस्य की संचालन समिति + 120 सदस्य = 151 सदस्य
(2) प्रांत कार्यसमिति = 21 सदस्य की संचालन समिति + 80 सदस्य = 101 सदस्य 101म36 प्रांत = 3636 सदस्य
(3) जिला कार्यसमिति = 11 सदस्य की संचालन समिति + 40 सदस्य = 51 सदस्य 51म610 प्रांत = 31110 सदस्य कुल कार्यकर्ता 34897 सदस्य (35 हजार सदस्य)।

6. संगठन से जुड़े सदस्यों के तीन प्रकार –
(1) नेता
(2) कार्यकर्ता
(3) समर्थक नेता अर्थात् नेतृत्व गुणों से संपन्न। जो स्वयं कार्य करे और औरों को भी कार्य करने की प्रेरणा देने में सफल हो। कार्यकर्ता अर्थात् जो हमारी विचारधारा से सहमत होकर संगठन का कार्य करे। समर्थक जो विचारधारा से सहमत हो और सूचना मिलने पर कार्यक्रम में शामिल हो। जो 35 हजार हम जोडऩा चाहते हैं वे नेता और कार्यकर्ता प्रकार के हों।

7. संगठन के चार अंग-
(1) कार्यकर्ता
(2) कार्यालय
(3) कोष और
(4) कार्यक्रम
कार्यालय अर्थात संगठन की गतिविधियों का केन्द्र। कोष अर्थात् संगठन को चलाने का ईंधन। संगठन के लिए कोष चाहिए कोष के लिए संगठन नहीं। गाड़ी में पेट्रोल टैंक जितना महत्व। पेट्रोल का टैंकर मतलब कोष नहीं। कार्यकर्ता और कार्यक्रम की परस्पर पूरक भूमिका। कार्यकर्ताओं के आधर पर कार्यक्रम आयोजन और कार्यक्रम के माध्यम से कार्यकर्ता निर्माण।
8. कार्यक्रमों के प्रकार-

(1) संगठनात्मक गतिविधियां
(2) आंदोलनात्मक आयोजन
गतिविधियां : बैठक-प्रवास-प्रशिक्षण
आयोजन : धरना, प्रदर्शन, जनसभा, पदयात्रा, आर.टी.आई, पी.आई.एल., जनजागरण अभियान।

9. परिवर्तन या क्रांति में समाज का योगदान-
ऐतिहासिक निचौड़ – विश्व भर जितने महान क्रांतियां, धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक हुई हैं- उस में समाज के सक्रिय लोगों का प्रतिशत -0.01 प्रतिशत से कम।
बाकी समाज मेे जनजागरण के परिणाम से समाज का जागृत, सुप्त या ऐच्छिक या अनैच्छिक समर्थन मिला।

10. व्यवस्था परिवर्तन के लिए राजनीति में हस्तक्षेप अनिवार्य होगा। इसमें सभी को स्पष्टता। हस्तक्षेप का स्वरूप क्या होगा अभी कहना अधपका परोसना होगा। राजनीति में यह हस्तक्षेप न तो इतनी जल्दी हो कि जल्दबाजी हो जाए और न इतना कच्चा हो कि समयपूर्व हो जाये, यह नेतृत्व जरूर ध्यान रखेगा।​

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