बंद हो पंजाब व हरियाणा में धान की रासायनिक खेती – मौलिक भारत
वो धान जो पंजाब व हरियाणा के किसान उगाते हैं-
1) यह हरित क्रांति का नतीजा है जब इन प्रदेशों में बहुफ़सली खेती को गेहूं व धान की खेती में बदला गया और पूरे देश की खाध ज़रूरतों को पूरा करने के नाम पर केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा एमएसपी पर ख़रीदा जाने लगा।सच्चाई यह है कि ये गेहूँ व धान ज़हर है क्योंकि उसमें ज़हरीले बीज, कीटनाशक और रासायनिक खाद मिली होती है।देश में कैंसर व अन्य रोग फैलाने के लिए यही ज़िम्मेदार हैं।
2) वो बहुत ज़्यादा पानी की खपत करता है जिसके कारण इन प्रदेशों का भूजलस्तर बहुत नीचे जा चुका है। पंजाब और हरियाणा सरकारों ने यह कहते हुए अप्रैल में धान बोने पर प्रतिबंध लगा दिया कि इस समय धान बोने के लिए किसान बड़े-बड़े ट्यूबवेल चलाते हैं, जिससे ग्राउंडवॉटर सूख रहा है… अगर कोई किसान अप्रैल-मई में धान बोता है तो उस पर जुर्माना होता है… अब किसान जून के आखिर में बुआई के लिए विवश हैं, जिससे फसल देर से अर्थात दिपावली के आसपास तैयार होने लगी।
3) उत्तर भारत में हवाओं का पैटर्न कैसे मौसम के साथ बदलता है… दिवाली तक हवा का बहाव उत्तर से दक्षिण की तरफ हो चुका होता है, जबकि मॉनसून के आखिर यानी सितंबर तक हवाएं पश्चिम से पूरब की तरफ बह रही होती हैं… भारत के नक्शे में देखें तो पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्य दिल्ली से ऊपर की तरफ यानी उत्तर में हैं।इस कारण धान की पराली को जब जलाया जाता है तो उसका धुआँ दिल्ली एनसीआर व आसपास के इलाक़ों में फैल कर इसे दमधोंटू गैस चेंबर में बदल देता है।
4) देश में वर्तमान में इतने धान व गेहूँ की आवश्यकता है ही नहीं फिर भी सरकार राजनीति के चक्कर में इन फसलों को एमएसपी पर ख़रीदने को मजबूर है। इसके बाद भी पिछले एक साल से किसान धरने पर बैठे हैं।
5) प्रश्न यह है कि जिस धान की आवश्यकता ही नहीं उसको उगाया ही क्यों जा रहा है? फिर उसकी पराली अलग से देश का दम घोंट रही है।
मौलिक भारत की भारत सरकार व हरियाणा- पंजाब की राज्य सरकारों से माँग है कि
1)इन दोनो प्रदेशों में धान की रासायनिक खेती पर प्रतिबंध लगाया जाए।
2) इन दोनो राज्यों में जैविक कृषि व बहुफ़सली कृषि अनिवार्य की जाए।
3)अगले दस साल किसानो को आय का जो भी नुक़सान या कमी हो उसकी क्षतिपूर्ति की जाए।
भवदीय
अनुज अग्रवाल
अध्यक्ष, मौलिक भारत
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