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नारी मंच, मौलिक भारत और आई आई पी फाउंडेशन की मुहिम – गाँघी स्मृति दर्शन समिति का सहयोग – क्रांति के आह्वान के साथ शुरू हुआ बेटी बचाओ -बेटी बचाओ अभियान


नारी मंच, मौलिक भारत और आई आई पी फाउंडेशन की मुहिम – गाँघी स्मृति दर्शन समिति का सहयोग – क्रांति के आह्वान के साथ शुरू हुआ बेटी बचाओ -बेटी बचाओ अभियान


हर घर और हर परिवार में बेटी की स्थिति मजबूत करने और नारी की गरिमा और सम्मान के महत्त्व को फिर से स्थापित करने के आह्वान के साथ कॉन्स्टिट्यूशन क्लब नई दिल्ली में देश भर से आयी सेकड़ो महिला एवं पुरुष कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया । सेमीनार को संबोधित करने वाले सभी वक्ताओं का मत था कि सन 2022 तक विकसित भारत बनाने के प्रधानमंत्री जी के आह्वान को पूरा करने में महिलाओ की भागीदारी और लैंगिक समानता के साथ ही बेटी को भी बेटे के समान हक़, प्यार और सम्मान मिलना जरुरी है। इस अवसर पर मुख्य अथिति एवं गाँघी स्मृति दर्शन समिति के निदेशक श्री दीपंकरश्री ज्ञान ने नारी मंच एवं मौलिक भारत के साथ ही सभी संस्थाओ को इस अभियान को गांव गांव तक पहुँचाने के लिए साथ आने का आह्वान किया। नारी मंच की अध्यक्ष साधना सिंह, कार्यक्रम के संयोजक उमेश गौड़, आई आई पी फाउंडेशन के कार्यकारी राजेश गोयल एवं मौलिक भारत के महासचिव अनुज अग्रवाल में सदन और मीडिया को बताया कि अब पुरे देश में इस अभियान को फैलाया जायेगा। आज के आयोजन में भाग लेने वाले लोग अब इस अभियान की कार्यसमिति के सदस्य होंगे और आज सम्मानित की जाने वाली महिलाएं अभियान की ब्रांड एम्बेसडर के रूप में जनजागरण का कार्य करेंगी। सदन को मौलिक भारत के पदाधिकारियों डॉ उर्वशी मक्कड़, क़े. विकास गुप्ता, सुरेश शर्मा, नवीन जयहिंद, आशुतोष सिंह, नरेंद्र सिंह और जितेंद्र तिवारी ने स भी संबोधित किया। कम्युनिटी बेस्ड संस्थाओ के शमीमा रैना, रईस पठान, चंद्रलेखा शर्मा, जमाल अंसारी आदि दर्जनों अन्य सामाजिक रूप से सक्रिय लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का आकर्षण महिलाओं के अधिकारो के लिए काम का रहे गुलाबी गैंग की टीम, उनके संयोजक जयप्रकाश और अध्यक्ष सुमन चौहान रही। 26 सम्मानित की जाने वाली महिलाओ में से स्मिता पण्डे, मनुश्री लखोत्रा, नीशू मित्तल, अंशु पाठक, शालू अग्रवाल, मनजीत कौर, उषा शुक्ला आदि के कार्य और विचारो से सदन काफी प्रभावित हुआ। सदन को उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विराग गुप्ता एवं कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संदीप अरोरा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर पुरे दिन के विमर्श के निष्कर्षो को एक मांग पत्र के रूप में प्रधानमंत्री को भेजे जाने के लिए दस सूत्रीय मांगपत्र सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसका प्रारूप नीचे दिया गया है।

प्रतिष्ठा में,
माननीय नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री
भारत सरकार, नई दिल्ली

बिषय : बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ अभियान पर अनेक संस्थाओ द्वारा 30 मार्च 2016 को कोंस्टीटूशनल क्लब, नई दिल्ली में आयोजित सेमीनार में उभरे विचार विमर्श के उपरांत निकले निष्कर्षो के आधार पर माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार के लिए सर्वसम्मति से स्वीकृत प्रतिवेदन

1) संसद एवं विधानमंडलों में महिलाओ को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने संबंधित विधेयक जो संसद में लंबित है , उसे तुरंत पास किया जाये।

2) सार्वजानिक प्रसारणों यथा सिनेमा, इंटरनेट, टीवी, रेडियो, पत्र- पत्रिकाओं, विज्ञापनों, बेबसाइटो आदि में अभी भी नारी को अश्लील रूप में या दोयम दर्जे का पेश किया जाता है , यह घोर आपत्तिजनक है और इस पर रोक और नियमन के लिए कड़े कानून एवं प्रभावी निगरानी तंत्र की व्यवस्था की जाए।

3) राजनीतिक दलोँ के पदों, सरकारी एवं निजी क्षेत्र में नहिलाओ को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया जाए।

4) निःशुल्क एवं अनिवार्य स्वास्थ्य,शिक्षा एवं न्याय सेवाओं के साथ ही महिलाओं को योग्यतानुसार व्यवसायिक प्रशिक्षण को भी अनिवार्य किया जाए।

5) अकेली, अनाथ, विकलांग, विधवा और असहाय लड़कियो व महिलओं की सुरक्षा, गरिमा एवं जीवनयापन हेतू बिशेष कानून एवं कोष हो। इनको बिशिष्ट पहचान पत्र दिए जाएं। इनके लिए प्रत्येक तहसील / ब्लॉक में निःशुल्क हॉस्टल की व्यवस्था की जाए।

6) नारी के विरुद्ध अपराध करने वालों, गर्भावस्था में भ्रूण हत्या करने वालों, नाबालिग लड़कियों का किसी भी प्रकार से शोषण करने वालो और बालिग महिलाओं को दहेज़ एवं अन्य किसी भी कारण से प्रताड़ित करने वालों को सरकारी नोकरी और सुविधाओं से वंचित करने के लिए कानून बनाया जाये।

7) महिलओं संबंधी कानूनों को विद्यालयों के पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाये और विद्यालयों में लड़की, स्त्री या महिलाओं के महत्त्व, गरिमा और सम्मान से संबंधित शिक्षण हो।

8) भारतीय संस्कृति के अनुरूप बेटी, युवती और महिला के अधिकार और कर्तव्य क्या हों इस पर चिंतन, शोध और शिक्षण होना चाहिए।

9) धर्म जाति और संस्कृति के नाम पर महिलाओं से किसी भी प्रकार का भेदभाव बंद हो और उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा हो।

10) वे सब अधिकार जो एक पुरुष , पुरुष होने के नाते अपना हक़ समझता है, नारी को भी मिले ऐसी व्यवस्था की जाए।

आपसे अनुरोध है कृपया इस दिशा में सरकार के निर्णयों से अवगत कराएं।

भवदीय
सभी अधोहस्ताक्षरित

दिनांक
30/03/2016
मौलिक भारत ट्रस्ट

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