प्रेस विज्ञप्ति
विषय: *मौलिक जन संवाद* के मंथन के उपरांत मौलिक भारत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे सुझाव : बिल्डर प्राजेक्ट्स के लिए एक राज्य नीति बनायी जानी चाहिए रेरा के पास पर्याप्त न्यायिक शक्तियाँ हों व प्राधिकरणों, शीर्ष राजनेताओ, नौकरशाही, बिल्डर, ठेकेदार, बिचोलिया फर्मों आदि की जवाबदेही स्पष्ट रूप से निर्धारित हो
सम्मानित बंधुवर
सादर वंदे !
मौलिक भारत नेताओं-सरकारी बाबुओं- बिल्डरों के गठजोड़ के खिलाफ व आम निवेशकों के हित में लगातार आवाज उठा रहा है। जिला गौत्तमबुद्ध नगर देश में इस भ्रष्ट व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार रहा है। मौलिक भारत की पहल पर नेताओं-सरकारी बाबुओं- बिल्डरों के गठजोड़ के खिलाफ व आम निवेशकों के हित में समस्याओं के समाधान के लिए कुछ रचनात्मक व सकारात्मक उपाय ढूंढने के लिए दिल्ली एनसीआर की प्रमुख संस्थाओं (गौतमबुद्ध नगर सहित दिल्ली एनसीआर के स्ट्रेस प्रोजेक्ट ( लटके हुए बिल्डर प्रोजेक्ट) से जुड़े निवेशकों के संगठनों जो बायर्स के हितों के लिए प्रभावी कार्य कर रहीं हैं ) व अन्य प्रमुख सामाजिक संस्थाओ के अनुभव व सुझावों को साझा करने व सम्मिलित कार्ययोजना बनाने के लिए 26/9/2021 , रविवार को अग्रसेन भवन, नोएडा में दोपहर 2 बजे से सायं 6 बजे के बीच *मौलिक जन संवाद*का आयोजन किया था। इस जनसंवाद व उसके बाद के मंथन के उपरांत गौतमबुद्ध नगर सहित दिल्ली एनसीआर के स्ट्रेस प्रोजेक्ट ( लटके हुए बिल्डर प्रोजेक्ट) की समस्या को सुलझाने के लिए मौलिक भारत ने निम्न सुझाव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भेजे हैं। सुझावों की प्रति माननीय प्रधानमंत्री जी , मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय व शहरी विकास मंत्री भारत सरकार को भी भेजी गई हैं। अनुज अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, मौलिक भारत , पंकज सरावगी, राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार, मौलिक भारत व अनिल गर्ग, राष्ट्रीय सचिव, मौलिक भारत ने विस्तार से बताते हुए स्पष्ट किया की मौलिक भारत ने मांग की है कि नोएडा , ग्रेटर नोएडा व यीडा प्राधिकरणों के लिए आवश्यक है कि:
a) प्राधिकरणफंसे हुए प्राजेक्ट्स की निम्न प्रकार की सूची बनायें –
1) वे प्रोजेक्ट जो समाधान के लिए CIRP (IBC (b) के अंतर्गत आ गए हैं।
2) जिन प्रोजेक्ट की भूमि बिल्डर ने PSP के अंतर्गत वापस कर दी है और अभी तक फ्लैट देने में असमर्थ है।
3) जिन बिल्डरों ने प्राधिकरणों को देय किश्त का पिछले दो वर्षों से भुगतान नहीं किया है ।
4) जिस प्रोजेक्ट की RERA (Real Estate Regulatory Authority) के पास बहुत अधिक शिकायतें हैं।
5) वे प्रोजेक्ट जिनको प्राधिकरणों ने तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक के ऋण के बदले प्रोजेक्ट को गिरवी रखने की अनुमति दो हुई है।
- b) प्राधिकरणप्रोजेक्टकी जमीन आवंटन रद्द करने के स्थान पर “ बेस रेज़लूशन प्लान” लेकर आए, जिससे यह स्पष्ट हो सके की फँसे हुए प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सकता है या नहीं और उसमें फंसे/ डूबे हुए धन की वापसी संभव है या नहीं।इस लचीले रवैए व प्रक्रिया से अनेक बिल्डर समाधान के लिए सामने आ सकते हैं और प्राधिकरण को फँसा हुआ धन व निवेशक को फ्लैट मिलना संभव हो सकेगा।
- c) प्राधिकरणोंकीहाथ झाड़ने की जगह हमेशा के लिए “ ऐसेट्स रीकंस्ट्रक्शन ओरगेनाइज़ेशन” के रूप में सक्रिय भूमिका अपेक्षित है क्योंकि वे इसीलिए बिल्डर को उदार शर्तों पर भूमि उपलब्ध कराती हैं ताकि निवेशक को सस्ता मकान मिल सके। निवेशक भी इसी भरोसे से इन प्राजेक्ट्स में निवेश करता है क्योंकि उसको यह भरोसा होता है कि इन प्राजेक्ट्स के पीछे प्राधिकरण के रूप में सरकार मौजूद है। यह प्राधिकरण व सरकारों की जिम्मेदारी व जवाबदेही भी है कि यह भरोसा न टूटे।
- d) यहप्राधिकरणोंकी ज़िम्मेदारी है कि वे ऐसा मेकेनिज़्म विकसित करें कि मौजूदा विवादों का समाधान हो व आगे किसी भी प्रोजेक्ट में यह स्थिति आने पर निवेशक का कोई भी नुकसान हुए बिना , उसके तुरंत समाधान का मार्ग प्रशस्त रहे।
- e) प्राधिकरणएक“स्ट्रेस रेज़लूशन फंड” का गठन करें जो अटके हुए प्राजेक्ट्स को जिनको कु-प्रबंधन के कारण अस्थायी रूप से फंड की कमी है, को तुरंत अंतरिम/ब्रिज फ़ंडिंग उपलब्ध करवा सके।
- f) प्राधिकरणोंकोअपनी लीगल टीम मैं ऐसे पेशेवर विशेषज्ञ रखने होंगे जो अटके हुए मामलों को निपटाने में पारंगत हों।
प्राधिकरणों को सभी अटके हुए प्राजेक्ट्स के मामलों में संबंधित बिल्डरों के विरुद्ध सीआईआरपी में भाग लेते हुए एक स्थायी नीति बनानी होगी।
- g) जिनप्राजेक्ट्सका आवंटन प्राधिकरणों ने रद्द किया है उनके फिर से शुरू होने की स्थिति बनने पर पुनराबँटन शुल्क माफ होना चाहिए।
- h) अटकेहुएबिल्डर की कंपनी में जो सीआईपीआर के समाधान से गुज़र रही है की शेयरहोल्डिंग बदलने पर सभी प्रकार का ट्रांसफर चार्ज व संविधान में परिवर्तन का शुल्क माफ होना चाहिए। इससे अटके हुए प्रोजेक्ट को पुनः शुरू करना आसान होगा।
- i)जिन प्राजेक्ट्स में निर्धारित मात्रा में ग्राउंड कवरेज नहीं हुई थी , समाधान प्रक्रिया में बचे हुए एफएआर (वाणिज्यिक) को रियायती दरों पर उपयोग करने की अनुमति दी जाए ताकि वह प्रोजेक्ट फिर से व्यावहारिक बन सके।
- j) उनमामलों में जिनमे आबँटी किसी अन्य कंपनी के साथ JDA कर चुका है और आबँटी दिवालिया हो गया हो या डेवलपर दिवालिया हो गया हो , ऐसे मामले व्यावहारिकता पूर्ण तरीके से हल किए जाने चाहिए
1) जो जेडीए हो उसकी मान्यता व देय सब लीज पर लगने वाली स्टांप डयूटी स्थगित रखी जाए।
2) भूमि के उस विशेष हिस्से की भूमि बकाया राशि की गणना जेडीए द्वारा भूमि बकाया के लिए किए गए वास्तविक भुगतान को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए।
- k) जिनपरियोजनाओंमें आरडब्ल्यूए या फ्लैट ओनर्स एसोसिएशन ने अपने नियंत्रण में ले लिया है और व्यवसाय प्रमाण पत्र के लंबित हो फ्लैटों का पंजीकरण अभी भी नहीं है परियोजनाओं को दी जाने वाली कंपाउंडिंग फीस की माफी दी जानी चाहि
- l) स्ट्रेसप्रोजेक्ट्सकी वित्तीय व्यवहार्यता के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्राधिकरणों को 8% ब्याज लगाने के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेहिचक बिना किसी पूर्वाग्रह के अटके प्रोजेक्ट की वित्तीय व्यवहार्यता के लिए स्वीकार करना चाहि
- m) CIRP केअंतर्गतआने वाली सभी दबावग्रस्त परियोजनाओं पर “देर से निर्माण दंड” की छूट होनी चाहिए।
- n) ऐसेमामलेजहां प्राधिकरणों ने लीज डीड को रद्द कर दिया है, उसे ऐसा तंत्र बनाना होगा जो .पीड़ित घर खरीदारों को बढ़े हुए भूमि मूल्य मुआवजा दें यह धन प्राधिकरणों को नए आवंटन से वसूलना होगा।
- o) दबावग्रस्तपरियोजनाओंके फ्लैटों/दुकानों की बिक्री पर स्थानांतरण शुल्क में छूट मिलनी चाहिए। यहां तक कि ऐसे फ्लैटों और दुकानों के पूर्व- रजिस्ट्री हस्तांतरण की एक निर्धारित अवधि के लिए अनुमति दी जाए।
- p) प्राधिकरणों, वित्तीयसंस्थानोंऔर यूपी-आरईआरए के बीच घनिष्ठ कार्य संबंध होने बहुत आवश्यक हैं।
इसलिए प्राधिकरणों की यह जिम्मेदारी है कि वह न केवल तनावग्रस्त परियोजनाओं की समस्या का वास्तविक समाधान प्रस्तुत करें बल्कि एक स्थायी तंत्र बनाने के लिए भी आगे आयें जिसमें परियोजनाएं जो भविष्य में तनावग्रस्त हो जाते हैं, उनमें हितधारकों के किसी नुकसान के तुरंत समस्या का समाधान हो सके। संस्था ने मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया है कि उसके सुझावों के अनुरूप बिल्डर प्राजेक्ट्स के लिए एक राज्य नीति बनायी जानी चाहिए ताकि समयबद्ध रूप से अटके हुए प्रोजेक्ट की समस्या का निवारण हो व भविष्य में इस प्रकार की समस्या फिर से न उत्पन्न हो। सुप्रीम कोर्ट के सुझावों के अनुरूप बिल्डर- बायर अग्रीमेंट में एकरूपता हो। जिसमें रेरा के पास पर्याप्त न्यायिक शक्तियाँ हों व प्राधिकरणों, शीर्ष रजनेताओ, नौकरशाही, बिल्डर, ठेकेदार, बिचोलिया फर्मों आदि की जवाबदेही स्पष्ट रूप से निर्धारित हो। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से भी इसी प्रकार का केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश भी करे।
आभार सहित
धन्यवाद
भवदीय
अनुज अग्रवाल
राष्ट्रीय अध्यक्ष, मौलिक भारत
9811424443
www.maulikbharat.co.in
Note: Draft of Letter sent to the CM UP
SUGGESTIONS OF MAULIK BHARAT “STRESSED Realty PROJECTS: Problem and Real Solution” SUMMIT
Respected Yogi Adityanath Jee
Hon’ble Chief Minister
Government of Uttar Pradesh
Lucknow
Subject: SUGGESTIONS OF ALL THE PARTICIPATING IN THE MAULIK BHARAT “STRESSED Realty PROJECTS: Problem and Real Solution” SUMMIT ON 26/09/2021 to implement urgently to constitute a “State Policy” for reality sector
Respected Sir,
Vandematram,
Maulik Bharat is a NGO working in the area of electoral reforms, good governance, transparency and accountability from the last 8 years. Our NGO is pioneer in exposing corruption in the country as well as in Noida, Greater Noida and YEDA (Group Housing Scam, Farm House Scam, City Centre Scam etc.) and crusader behind putting Yadav Singh, Ex. Chief Engineer of NOIDA and making DND toll of NOIDA free by way of exposing its corruption and fighting the battle in and outside court.
On behalf of an Initiative of Maulik Bharat organisation “STRESSED REALTY PROJECT: Problem and Real Solution” thru Maulik Jan – Samvad on 26/9/2021, Sunday, Agrasen Bhawan, Noida, we want to submit some suggestion for your kind consideration/quick and fast action.
Sir, After a very spirited and in-depth discussion and presentations by all the NGOs in the summit i.e. Maulik Bharat, NEFOMA, FONNA, NOFAA, Rise NGO, NEFOWA, FONRWA, DDRWA and CONARWA it was agreed by all present that all the NGOs must work in convergence towards attaining a feasible and lasting resolution of “Stressed Situation” of 100s of stalled realty projects in Gautam Budh Nagar including Delhi NCR as well as in whole the country. Our suggestions are based on our experience with NOIDA/GNOIDA/YEIDA.
In India, we the people still have tremendous faith in our democracy and government. Therefore we still consider government jobs as most secured, consider PSU banks as most reliable, similarly we consider government schemes very safe and when it comes to property, any allotment made by any government is considered to be a “gold bond” and is trusted blindly. Similar trust was placed by lakhs of home buyers on the flats being sold to them by builders across NOIDA & GNOIDA , promised to be built on land allotted to them at subsidized rates and a very easy payment plan by NOIDA & GNOIDA. People bought these flats not because they were assured of builders credentials, but because they had unflinching trust in NOIDA and GNOIDA!!
That trust is now broken, the public is disillusioned, the promised flats are nowhere to be seen , the charming builder is out of reach of NOIDA, all that remains is stalled building and “cancelled lease deed”. Innocent buyers are cursed by the double burden of Rent and EMI, all their slogans, dharnas, RTIs, petitions have fell on deaf ears, the Babus and Sahibs of NOIDA and GNOIDA are so thick skinned that Even the Hon’ble Supreme Court’s remark of “Corruption is leaking from Eyes and Nose” failed to sensitize them.
If the public, the home buyers will have to get justice, if a solution to the problem of stalled projects is to be found, if we are to ensure that such bankruptcies do not happen in future, it is high time that we dissect the role of NOIDA/GNOIDA in this grave crisis, understand the deficiencies in the system of NOIDA/GNOIDA and therefore not only find an immediate resolution but also a long lasting systemic revamp and correction be made.
Suggestions/Action Points for NOIDA/GNOIDA/YEIDA
- NOIDA/GNOIDA/YEIDA should immediately release list of stressed projects as per following parameters
- Projects which are undergoing CIRP (resolution under IBC)
- Projects which had surrendered land under PSP and still have been unable to deliver flats
- Who have defaulted on NOIDA payments and not paid anything since last 2 years
- Projects having huge complaints in RERA
- Projects where mortgage permission has been issued by NOIDA/GNIDA for a loan of more than Rs 30Cr
Such lists must be shared with the bankers/allottees of the project which are appearing in this stressed list and must be released every 3 months
- NOIDA /GNIDA should create a BASE RESOLUTION PLAN for all these stressed projects in consultation with the RAW/Buyer Association. Rather than just resorting to “Cancelling” the land, NOIDA/GNIDA should come up with a resolution itself, so that it may also see and understand whether there is a possibility to retrieve/recover the defaulted amount from the stressed project. This understanding will enable NOIDA/GNIDA to change its attitude and stance in many of the Stressed cases and maybe these cases may see the light of resolution. Participation of the respective home buyer body / Builder (if available) /RERA must be invited to hammer out the BASE PLAN.
- NOIDA/GNIDA should play a proactive role just like an ASSET RECONSTRUCTION ORGANISATION and must make this as its permanent fixture, because the land that NOIDA/GNIDA allots to the builders is actually allotted on liberal terms so that the end-users, the common man, get a benefit of prices. The common man also invests in these projects because somewhere in the back of his mind he feels protected by the feeling of NOIDA /GNIDA being the watchdog!!
- NOIDA/GNOID must create a “Stress Resolution Fund” which should be used to provide the immediate interim / bridge funding for projects which are facing temporary cash flow mismanagement.
- NOIDA/GNOIDA must implement the following interim measures as well:-
- a) Must have few qualified Resolution professionals in its legal team, it must formulate a uniform strategy to participate in the corporate insolvency resolution process (CIRP) of all companies who have un-delivered builder projects in NOIDA/GNOIDA
- b) In cases, where NOIDA/GNOIDA has cancelled the lease, the same be restored without any restoration charges
- c) Transfer Charges on all kind of “Change in shareholdings” and “change in constitution” of companies undergoing CIRPs be waived off, thereby making the resolution of stressed projects a bit easier and feasible
- d) Cases where the entire permissible Ground Coverage has not been consumed be allowed to avail additional FARs (commercial) at concessional rates, so that the projects become viable again
- e) Cases where the lessee has entered into a Joint Development Agreement (JDA) with another company and the project is stalled either because Lessee has become bankrupt or because the developer is insolvent must be dealt with practical view point:-
- Firstly JDA be recognised and applicable sub-lease be executed on deferred stamp duty payment basis
- Land dues of that particular portion of land can be calculated by taking into account the actual payments made by the JDA towards land dues.
- f) Amnesty /waiver of compounding fees to be granted to projects wherein RWA or Flat Owners Association has taken control and the Registration of flats still not possible due to pending issue of occupation certificate
- g) NOIDA/GNIDA must accept the Hon’ble SC verdict of application of 8% Interest retrospectively without murmur and pave the way for financial viability of stressed projects
- h) Waiver of “Late Construction Penalty” on all stressed projects undergoing CIRP
- i) Cases where NOIDA has cancelled the Lease deed, it must create a mechanism to compensate the victimized home buyers from the enhanced land value that NOIDA/GNIDA will realize by fresh allotment.
- j) Waiver of Transfer charges on sale of flats / shops of stressed projects. Even pre-registry transfer of such flats and shops is allowed for a designated period.
Therefore it is fiduciary responsibility of NOIDA/GNIDA to not only resolve the present stressed projects but also to create a mechanism wherein the projects which get stressed in future are attended to immediately without any loss to any stakeholder.
Close working relationship of NOIDA/GNIDA, Financial Institutions and UPRERA is a must to resolve the gigantic scale of stressed projects.
Suggestion/Action Points for UPRERA
- UPRERA may develop a policy /SOP to replace the “existing defaulting” management of a project. This can be achieved by modifying the recently announce Pre-Packaged Insolvency Resolution Mechanism of IBC
- UPRERA may get conducted Forensic Audits of the defaulting builder on “group” level , so that the extent/network/modus of the siphoning off /misuse of the funds be unearthed and established
- Invoke responsibility of the Broker Firms who were lead marketing brokers for the stressed realty project
- UPRERA to direct builders to handover all the data (and keep updating the same) of the project on a project website
- UPRERA to direct all builders to share the MAPS, Working Drawing, Sanction Drawings pertaining to a project with the RWA/AoA
- UPRERA to direct all builders to handover the collected IFMS deposit/ Sinking Fund to the RWA/AoA within a fixed timeframe of handing over the project.
Sir, in net shell it’s expected that authorities become accountable along with political bosses, top bureaucracy, builder & broker firms. UPRERA must have judicial power to implement its order. in our view above said suggestions are the most practical, constructive and positive solution of the current crises of stress projects. We request you please constitute a state policy for reality sector and incorporate above said suggestion in that. WE request also to recommend these points to central government to constitute a National Policy for this sector. This step will highly useful to resolve problems of realty sector specially crises of stress projects .We all are hopeful that your government must take all necessary steps to implement the above said suggestion on a priority basis. At any stage we all organisations are available for any kind of help, explanation and clarifications.
Thanks and regards.
Yours Sincerely
Anuj Agarwal Dr Kamal Taori, Ex IAS Pankaj Saraogi Anil K Garg Dr Sarika Agarwal
President Executive President Legal Advisor Secretary Gen. Secretary
Date: 14//10/2021
Copy to:
1) The Prime Minister, Government of India
2) The Chief Justice Of India
3) Minister of Housing and Urban Affairs, Government of India
Download Attachment
Solution of Stress Projects by Maulik bharat in English
Solution of Stress projects by maulik bharat Hindi