उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से माननीयों के द्वारा चुनाव के समय भरे गए शपथ पत्रों में वर्णित संपत्ति की जाँच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से कराने के चुनाव आयोग के तरीके को एक तरीके से मान्यता देते हुए आगे की बात कही है। न्यायलय ने कहा कि जांच में जिस किसी भी निर्वाचित सांसद और विधायक की चल व अचल संपत्ति शपथ पत्र में दिए गए विवरण से अधिक पायी जाए उन पर आगे की कानूनी कार्यवाही हेतू “त्वरित अदालतों” के गठन केंद्र सरकार करे ताकि इन जनप्रतिनिधियों को शीध्र अति शीघ्र सजा दी जा सके।
उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लोकसभा चुनावों के बाद घोषणा की थी कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई हेतू वे जल्द ही त्वरित अदालतें गठित करंगे किंतु ऐसा कुछ उनकी सरकार ने किया नहीं।
मौलिक भारत चुनाव के समय भरे जाने वाले शपथ पत्रों की जांच के लिए एक जांच एजेंसी बनाने की मांग सन 2013 से करता आया है और इस संदर्भ में चुनाव आयोग, अदालतों, संसदीय समिति और विभिन्न जांच एजेंसियों के पास कई बार शिकायतें दर्ज करवा चुका है। मौलिक भारत की शिकायत पर ही चुनाव आयोग ने लोकसभा के चुनावों के समय सीबीडीटी से चुनाव लड़ने वालों के शपथपत्रों की जांच की बात कही थी और हाल ही में पांच राज्यो के चुनावों के समय हमारी शिकायत पर लिखित रूप से हमे सूचित किया था कि आयोग में पाँचों राज्यों के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों की चल -अचल संपत्ति की जांच 30 सितंबर 2017 तक पूरी कर रिपोर्ट देने के आदेश दे दिए हैं।
सच्चाई यह है कि अगर गहराई से जांच की जाए तो 80% शपथ पत्रों में गड़बड़ी मिलेंगी। उच्चतम न्यायालय ने मात्र संपत्ति की जांच के लिए त्वरित न्यायलय बनाने के निर्देश दिए हैं लेकिन आपराधिक मुकदमों के नहीं, ऐसा क्यों? मौलिक भारत की जांच समिति ने पाया है कि अक्सर कई मुकदमों की, चल अचल संपत्ति की सूचना तो छुपाई ही जाती है, साथ ही अधूरा पता, फर्जी तरीके से जाति, आयु प्रमाणपत्र ओर वोट बनवाने के खेल भी खेले जाते हैं। ये सब जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार गैरकानूनी है और इसमें दोषी पाए जाने पर न केवल चुनाव रद्द हो जाता है वरन जेल भी होती है। साथ ही 5 से 7 बर्षो तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लग जाता है।
ऐसे में मौलिक भारत उच्चतम न्यायालय से मांग करता है कि
1) एक स्थायी जांच एजेंसी बनाई जाए जो पंचायत से लेकर राष्ट्रपति तक किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने वालों के शपथपत्र की समग्र जांच करने के लिए अधिकृत हो। यह जांच एजेंसी अपने निष्कर्षों के अनुरूप जिलेवार त्वरित अदालतों को अपनी जांच रिपोर्ट सौपे ओर फिर उन पर अदालतें उचित कार्यवाही करें।
2) कोई भी भारत का नागरिक जो किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने को इच्छुक हो, वह चुनाव बिशेष से छः माह पूर्व ही अपना शपथ पत्र चुनाव कार्यलय में जमा कराए ओर चुनाव कार्यालय 90 दिनों में जांच कर उसे सार्वजनिक कर ताकि जनता के पास स्वच्छ और निष्पक्ष चरित्र के जनप्रतिनिधियों को चुनना संभव हो सके।
भवदीय
अनुज अग्रवाल, महासचिव
नीरज सक्सेना, ट्रस्टी
मौलिक भारत
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